जय गणेश, सिद्धि विनायक,
चिंताहरण
नाम हैं अनंत तुम्हारे
हर नाम में छिपे हैं कई कारण
कान तुम्हारे गजराज जैसे
बहुत संवेदनशील और सारयुक्त
ग्रहण करते
यथा समय बातें सुन सकते
और निराकरण करते !
है बड़ा उदर तुम्हारा
मोदक तुमको प्रिय रहते
जो भी पाता ग्रहण करता !
प्रथम पूज्य गण के रक्षक
यही तुमसे अपेक्षा
सजग सदा रहते !
जब भी पुकारें दीन दुखी
सबकी चिंता हरण करते !
नहीं किसीसे बैर भाव
समभाव सबसे रखते !
समदृष्टा होकर निर्णय करते !
जब भी कोई आर्त ध्वनि होती
तुम्हीं प्रथम श्रोता होते !
उसकी इच्छा पूर्ण करते !
सच्चे मन से जो ध्याता
मनोकामना पूर्ण करते !
तभी तो हर कार्य में
सर्वप्रथम पूजे जाते
इसीलिये विघ्नहर्ता कहलाते !
आशा सक्सेना
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