चिड़िया दिन भर आँगन में चहकती
यहाँ वहाँ टहनियों पे
अपना डेरा जमाती
कुछ दिनों में नज़र न आती
पर शायद उसका स्थान
मेरी बेटी ने ले लिया है
जब से उसने पायल पहनी
ठुमक ठुमक के चलती
पूरे आँगन में विचरण करती
अपनी मीठी बातों से
मन सबका हरती
खुशियाँ दामन में भरती !
उसमें और गौरैया में
दिखी बहुत समानता
गौरैया कहीं चली गयी
अब यह भी जाने को है
अपने प्रियतम के घर
इस आँगन को सूना कर
पर याद बहुत आयेगी
न जाने लौट कर
फिर कब आयेगी !
आशा सक्सेना
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