समय भी क्या कमाल है
चुनाव के मौसम में
हो रही धमाल है
अब हाथापाई तक
उतर आई है जबाबी बोलचाल
शर्म न लिहाज
केबल बेसुरे नारों की भरमार
पार की सारी मर्यादा
फिर होने लगा धमाल
शिक्षा दें भी तो कैसे किसे
कभी अनुशासन जाना नहीं
यही जब नेता बनेंगे
सम्हालेंगे बागडोर देश की
तब न जाने क्या होगा ?
लोकसभा विधान सभा में
काम तो नहीं पर
केवल दंगल ही होगा
कुश्ती का मंजार होगा |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: