23 अप्रैल, 2018

सोच के चोराहे पर














सोच के चोराहे पर खड़ा है
 विचारों में डूबा हुआ सा
 खल रहा अकेलापन  उसे
दुविधा में है कहाँ खोजे उसे
जो कदम से कदम
 मिला कर चले
केवल सात कदम चल कर
साथ निभाने का वादा
लगता बड़ा सरल
होता उतना ही जटिल
  नहीं सब के बस का
उस राह पर चलना
हमराही  की खोज है
 उतनी ही कठिन
जज्बातों में बह कर
 झूठे वादे करना
कदम से कदम मिला के
जो चलने में  हो समर्थ
है सोचने को विवश
  किस राह पर जाय ?
आज के संदर्भ में
सभी चाहते ऐसा साथी
जो कदम से कदम
 मिला कर चले
 दोनों का जीवन
निर्वाध गति से चले |

आशा



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