नियमों को तोड़ने का
छिपे भाव उजागर करने का
हर गज्ञल बेबहर हो गई है |
नाम हुए उसके हजार
हर शख्स गजल पढ़ नहीं सकता
उसमें निहित अर्थ
समझ नहीं सकता
चाहता है शायर कहलाना |
है शायरी के नियमों से अनिभिग्य
जानना भी नहीं चाहता
पर शायरी से हैउसका गहरा नाता
तभी तो हर गजल
बेबहर हो कर रह गई है |
ना तो काफिया ना मक्ता
न कोई जानकारी कैसे लिखी जाए
शायरी में आनेवाले क्रम की |
पर अरमान नहीं छूटते
शायर कहलाने के
मंच पर शेर सुनाने के
तभी शायरी बेबहर हो गई है |
आशा
बिल्कुल सच कहा आपने।
जवाब देंहटाएंआभार
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हटाएंसुप्रभात |सूचना हेतु आभार सर |
जवाब देंहटाएंसुप्रभात सूचना हेतु आभार सर |
जवाब देंहटाएंइसमें तो कोई शक नहीं शायरी हर एक के बस की बात नहीं !
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