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11 फ़रवरी, 2019
अवमानना
कोई अपमान न कर पाए
उसका हर बार
है दीवानगी इतनी कि
उसकी छाया का भी
न हो पाए अवसान
कोई उसके दिए तोहफे का
न करे अभिमान
प्यार का सच्चा स्वप्न वही
जो दीखता उस पार
सच्चाई की मिठाई भी
सदा मीठी नहीं होती
अधिक मिठास देती कडवाहट
असंख्य बार |
आशा
1 टिप्पणी:
Sadhana Vaid
16 फ़रवरी 2019 को 12:16 pm बजे
स्वाभिमान को जगाती सुन्दर प्रस्तुति !
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स्वाभिमान को जगाती सुन्दर प्रस्तुति !
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