25 फ़रवरी, 2019

डर कैसा







बचपन में शिक्षा मिली
 किसी से कभी न डरो
फिर भी न जाने क्यूँ ?
इससे पीछा नहीं छूटता |
जरा देर को लाईट जाए
मन में कम्पन होने लगता
कभी किसी की छाया दिखे
भूत नजर आने लगता  |
है यह कैसी मनोस्थिति
बाहर निकल नहीं पाती इससे
जितना दूर भागना चाहती
पर वहीं खड़ी रह जाती |
इतनी कमजोर  कभी न थी
 न जाने किसकी नजर लगी  
छोटी छोटी घटनाएं भी
बेचैन मुझे कर जाती हैं  |
डर का घेरा जकड़े  
रहता  इस कदर
दिन रात भय बना रहता    
कोई दुर्घटना  घटित होने का |
जब भी मन सशंक  होता है
 कुछ न  कुछ बुरा होता है
कैसे इससे खुद को बचाऊँ
यह  भ्रम नहीं होता  केवल |
किसी हद तक सच्चाई
 भी होती निहित इसमें
जब भी डर की  होती अनुभूति
 कुछ दुर्घटना हो कर रहती |
यही भाव मन से
 दूर न हो पाता
मुझे सहज भाव से
                                         जीने नहीं देता |

                                           आशा

18 टिप्‍पणियां:

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-02-2019) को "अपने घर में सम्भल कर रहिए" (चर्चा अंक-3259) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 122वीं जयंती - अमरनाथ झा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  5. thanks you for sharing this article with us it helps me a lot can anyone tell me aboutAmerican eagle credit card

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