03 अप्रैल, 2019

रूप तेरा







रूप तेरा पूनम के चाँद सा
चेहरा सजा साज  सिंगार से
माथे पर कुमकुम का टीका
खुशबू से अंग अंग महका |
केश विन्यास सुन्दर तेरा  
बड़े सलीके से सजाया गया है
श्वेत पुष्पों की माला से|
मृगनयनी चंचल चपल  
 हैं नैन बड़े  विशाल  तेरे
पैनी उनकी धार से  जब करते कटाक्ष
हृदय विदीर्ण हो जाता |
चाहे जितने करू उपचार
 दर्द कम न होता
जब चलते नैनों के बाण  तीखे
घाव दिल के नहीं भरते |
नैनों में कजरे की गहरी  रेखा   
आकार बढ़ा देतीं इतना
लगता पूरा कैद कर लेंगी मुझे
क्यूँ न मैं समा जाऊं उनमें |
हाथों की उंगलियों से  
 मुंह छिपाने की कोशिश
 मैं एकटक देखता रहूँ
पलकें भी न झपकाऊँ |
तेरी यह अद्भुद छवि और अधिक
 आकर्षित  करती मुझे
मन में भय रहता सदा ही  
किसी की नजर न लगे तुझे |
                                             आशा

19 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4.4.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3295 में दिया जाएगा

    धन्यवाद सहित

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 4 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना ! बहुत सुन्दर सृजन !

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  4. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  5. टिप्पणी के लिए धन्यवाद संजय
    आशा सक्सेना

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  6. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद अनिता जी |
      आशा

      हटाएं
  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ८ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  8. कजरारे नैनो से बंधे अनुरागी मन की हृदयस्पर्शी भाव कथा आदरणीय आशा जी | सस्नेह शुभकामनायें |

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