कदम न रुके बढ़ चले
जंगल में जा कर चांदनी रात में
घूमने का आनंद लेने |
घूमने का आनंद लेने |
चमक दमक कायनात की
चन्द्र रश्मियाँ पर्णों में
दीखती थीं समाई
दीखती थीं समाई
गजब की चमक थी उनमें |
धरती के कण कण में
चांदनी की छटा देती थी दिखाई
चांदनी की छटा देती थी दिखाई
किसी अन्य साधन की
न थी आवश्यकता
रौशनी के लिए|
न थी आवश्यकता
रौशनी के लिए|
रात्रिचर यहाँ वहां
नजर आते थे
नजर आते थे
मानो वे भी चाहते हों
स्नान करना चांदनी में |
ज्यूँ ज्यूँ चांदनी
बढी
अनोखी चमक छाई कायनात में
जुगनुओं का उत्साह
बढ़ा
चमक इतनी बढ़ी
चमक इतनी बढ़ी
जैसे स्नान कर के आए हों अभी
चांदनी में तरबतर हो|
मैं बनी गवाह उनके
हर क्रिया कलाप की
मैंने पूरा आनंद उठाया
चांदनी रात का नजारा देखा |
यहाँ वहां उनके उड़ने का
चमकना फिर गायब होने का
चमकना फिर गायब होने का
जंगल में विचरण का
पूर्ण आनंद उठाया |
पूर्ण आनंद उठाया |
आशा
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |
हटाएंवाह जी वाह ! खूब आनंद उठाया आपने इस खूबसूरत नज़ारे का ! उतना सुन्दर चित्रण भी किया ! अति सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
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