01 जून, 2019

वाकयात कुछ ऐसे





वाकयात कई ऐसे होते हैं
सारा करार गुम हो जाता है
यूँ तो कोई बात नहीं होती
 बातों के बतंगड़ बन जाते हैं |
कहीं कोई गोलमाल होता है
उसे कानों कान खबर नहीं होती
प्यार तो नहीं होता पर
चर्चा सरे आम हो जाती है |
बाकयात से घबरा कर
वह अपना मुंह छिपा लेते हैं
कोई फलसफा नहीं बनता पर
बिनाबात शर्मसार हुए जाते हैं |
आशा

4 टिप्‍पणियां:

Your reply here: