04 अगस्त, 2019

मेरा वजूद


                                   मेरा वजूद नहीं खोया कहीं

 मेरा वजूद ही मेरी गजल है
है  अलग सी  पहचान मेरी
 जितना भी बड़ा गुलशन हो
खुशबू मुझ में गुलाब जैसी है
वहां तरह तरह के पुष्प हैं
पर मेरे  जैसा कोई नहीं है
अलग व्यक्तित्व रखती हूँ
पहचान मेरी खुद से है
झूठा गरूर नहीं मुझको
खुशबू मुझमें गुलाब जैसी है
पर मैं गुलाब नहीं |
आशा



8 टिप्‍पणियां:

  1. "...
    खुशबू मुझमें गुलाब जैसी है
    पर मैं गुलाब नहीं"

    बहुत खूब!!

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  2. क्या बात है ! बड़ी खूबसूरत है पहचान आपकी !

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-08-2019) को "मेरा वजूद ही मेरी पहचान है" (चर्चा अंक- 3419) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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