सुबह की धूप ने रवि का स्वागत किया
अब आएगी हरियाली जमीन पर
छाएगी खुशहाली पूरी धरा पर
परिंदे पंख फैला कर उड़ चले हैं व्योम में
ऊंचाई तक पहुँच की होड़ लगी है उन में
अलविदा आलस्य तेरा शुक्रिया
की है नवऊर्जा संचित तेरा शुक्रिया
हर कार्य में स्फूर्ति आएगी जिसे चुना गया
सफलता पा कर प्रभु का धन्यवाद किया |
आशा
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 22 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशोदा जी सूचना के लिए |
हटाएंसकारात्मक ऊर्जा को विस्तीर्ण करती बहुत सुन्दर रचना ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी |
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-09-2019) को "बदल गया है काल" (चर्चा अंक- 3468) पर भी होगी।--
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुप्रभार
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन लिंकों का
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |