10 सितंबर, 2019

याद करोगे मुझको




याद करोगे हमको
जब हम ज़माना 
छोड़ जाएंगे
सारी बुराई भूल कर
 जब भी सोचोगे
हर शब्द कानों में गूंजेगे
अपने गुम हुए अस्तित्व की
हरबार याद दिलाएंगे
मन के किसी कौने में
जब भी झांकोगे
हम ही हम नजर आएँगे
है यही रीत दुनिया की 
जीते जी कद्र नहीं होती 
जाने के बाद ही यादें 
ताजी की जाती हैं 
बड़ी बड़ी अच्छाई
याद की जाती हैं |

आशा

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ! कोमल अहसासों से युक्त खूबसूरत रचना !

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  2. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (12-09-2019) को      "शतदल-सा संसार सलोना"   (चर्चा अंक- 3456)     पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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