है आज पैसा प्रधान
वर्तमान जीवन शैली में
सुबह से ही भागमभाग
पहिये लग जाते पैरों में |
ज़रा
भी नहीं ठहराव
पर
कभी न सोच पाए
यह दौड़ भाग किस लिए
केवल धन की प्राप्ति के लिए |
या किसी और कारण से
है चमक दमक की दुनिया
स्पर्धा में
आगे निकलने की
जो
खुद को पाता दूसरे से आगे |
फूला नहीं समाता अपने कौशल पर
यत्नों की कोशिश से सफल होने पर
उसकी टिकी हैं निगाहें
नोटों की वर्षा पर |
उनके पीछे दौड़ रहा
बिना कुछ सोचे समझे
ठोकरें कितनी भी खाए
वह दर्द सहन कर लेता
पर कदम रोक नहीं पाता |
उन्हें प्राप्त करने
में
येन केन प्रकारेण
उसे अमीर बनना है
है यही चाहत मन में
किसी से नहीं पिछड़ना है |
आशा
भौतिक जगत के सत्य को उजागर करती सार्थक रचना !
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