25 अक्तूबर, 2019

है अमावस की रात



है अमावस की रात अंधेरी
  दीपक तुम  राह दिखाओ
भटके हुए  राहगीर को
गंतव्य तक पहुँचाओ |
 झिलमिल झिलमिल   जगमगाओ 
तम का ध्यान न मन में लाओ
है अन्धकार  तुम्हारे नीचे भी
उस से भी  अवधान हटाओ |
एकाग्र चित्त हो कर
करो  कर्तव्य पूर्ण  अपना
 स्नेह और  बाती से मिलकर
अन्धकार  दूर करो हवा के बेग से नहीं डरो |
अधिकार तुम्हारा है क्या यह न सोचो
परहित के लिए जीवन उत्सर्ग करो
अजनवियों  को राह दिखाओ
 उनका मार्ग प्रशस्त करो  |
आशा 

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात |दीपावली की शुभ कामनाएं |
    धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  2. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२७ -१०-२०१९ ) को "रौशन हो परिवेश" ( चर्चा अंक - ३५०१ ) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  3. दीपक तो निस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य निभाता ही है ! उस जैसा परोपकारी और कहाँ !

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