वाकयात कई ऐसे होते हैं 
सारा करार गुम हो जाता है 
यूँ तो कोई बात नहीं होती
 बातों के बतंगड़ बन जाते हैं |
कहीं कोई गोलमाल होता है 
उसे कानों कान खबर नहीं होती 
प्यार तो नहीं होता पर 
चर्चा सरे आम हो जाती है |
बाकयात से घबरा कर 
वह अपना मुंह छिपा लेते हैं 
कोई फलसफा नहीं बनता पर 
बिनाबात शर्मसार हुए जाते हैं |
आशा 
