तुम्हारी
हर बद्दुआ
मुझे दुआ सी लगे
क्यूँ कि हर शब्द
उसका
तुम्हारे
लवों का स्पर्श पा
बदलता
हैं रूप अपना
अपनों के दिल से निकली बातें
सभी बद्दुआएं नहीं होती
सभी बद्दुआएं नहीं होती
अपना रंग दिखाती हैं
अपनी सी हो जाती हैं
अपनी सी हो जाती हैं
माँ से मिली सभी नसीहतें
चाहे उस समय कटु लगें पर
हर पग पर राह दिखाती हैं
जीवन सफल बनाती हैं
हर पग पर राह दिखाती हैं
जीवन सफल बनाती हैं
अपनों के दिल से कभी
कटु वचन नहीं निकलते
उनमें कुछ भलाई
कुछ शिक्षा निहित होती है
कटु वचन नहीं निकलते
उनमें कुछ भलाई
कुछ शिक्षा निहित होती है
ज़रा सोच कर देखो
यदि उन्हें मान दे पाओगे
यदि उन्हें मान दे पाओगे
हित तुम्हारा ही होगा
कोई अपना ही साथ निभाएगा
तुम्हारा अहित न चाहेगा
तुम्हारे सुख में
सुखी होगा
दुःख के निदान की कोशिश करेगा |
आशा
आशा
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
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हटाएंसुप्रभात
हटाएंनव वर्ष की शुभ कामनाएं |टिप्पणी के लिए धन्यवाद कविता जी|
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2.1.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3568 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |
बहुत सुन्दर रचना ! सारगर्भित और सार्थक !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
बहुत सुंदर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नीतीश जी टिप्पणी के लिए |
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
६ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार श्वेता जी |
बिल्कुल सत्य...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रकाश जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुधा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंखूबसूरत सृजन आशा जी !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शुभा जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए ज्योति जी |
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