10 जनवरी, 2020

हिन्दी



हिन्द के माथे की बिंदी
दमक रही  ऐसी कि
  उस की शोभा पर
  नजर नहीं टिकती
उसके आगे अब तो
 सब की रंगत फीकी
सोलह सिंगार अधूरे
 लगते उसके बिना
तभी तो बनी सिरमोर हिन्दी
 यहाँ सभी भाषाओं की
हमें है गर्ब अपनी
 भाषा हिन्दी पर
है सरल बौधगम्य
कठिन नहीं व्याकरण इसकी |
                                     आशा

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