03 फ़रवरी, 2020

पंखुड़ी


बगिया में फूलों की क्यारी
महकी सारी फुलवारी
 ध्यान गया  जब सुगंध पर  
हुआ  उत्फुल्ल मन  
देखीं पुष्पों से लदी डालियाँ  
 देखे फूल देखी अधखिली कलियां
झांकती अनमोल पंखुड़ी उनमें से
जो मकरंद की रक्षा करतीं
 मंद पवन के साथ बह चली
फूलों की मन मोहक सुगंध 
मैं उस ओर बेंच पर 
कब जा  बैठी याद नहीं   
 मन लुभावन रंग बिरंगे 
फूल खिले बड़े सुन्दर   
आकर्षित हुए तितली और भ्रमर भी
बारम्बार मंडरा  रहे वे आसपास
स्पंदन से उनके 
 बढ़ी कलियों में हलचल
भौरे  तो इस हद तक बढ़ गए
स्वतः बंद किया खुद को 
पुष्पों की पंखुड़ियों के आलिंगन में
मकरंद का पान करने के लिए
बंधक होना भी स्वीकार किया
पंखुडियों की बाहों में दुबक   
रहा बंद तब  तक
जब कली फूल बन गई
तभी बंधन मुक्त हो पाया
जब मकरंद से  मन भरा
अलग हो चल दिया
दूसरे रंग बिरंगे पुष्पों की बाहों में
उनकी  पंखुड़ियों की पनाह में
होता इतना आकर्षण उन में
मोह नहीं छूटता अलग हो नहीं पाता
 रंग बिरंगे प्यारे से  
 पुष्पों की  पंखुड़ियों  से |
आशा




20 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ४ फरवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. सुप्रभात
    रोहित जी धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

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  3. उत्तर
    1. सुप्रभात
      मेरी रचना पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद सदा जी |

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  4. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद सुधा जी |

      हटाएं
  5. वाह ! बहुत ही सुन्दर सार्थक सशक्त रचना ! बहुत बढ़िया !

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (08-02-2020) को शब्द-सृजन-7 'पाँखुरी'/'पँखुड़ी' ( चर्चा अंक 3605) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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  7. वाह मन में मनोहारी दृश्य उत्पन्न हो गया .. कवि की लेखनी में अगर शब्दों की जादूगरी छुपी होती है तो घर बैठे कहां से कहां ले जाता है पढ़ते-पढ़ते मन में मेरी भी प्रतीत हुआ कि मैं भी किसी बाग के कोने वाली बेंच में बैठकर आपकी कविताओं में जो व्याख्या आपने की है उन सारी चीजों को महसूस कर रही हूं बहुत ही अच्छा लिखा आपने बधाई

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद |टिप्पणी बहुत प्यारी लगी |

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  8. अति सुंदर सृजन आशा जी ,सादर नमन

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद कामिनी जी |

      हटाएं
  9. दूसरे रंग बिरंगे पुष्पों की बाहों में
    उनकी पंखुड़ियों की पनाह में
    होता इतना आकर्षण उन में
    मोह नहीं छूटता अलग हो नहीं पाता
    रंग बिरंगे प्यारे से
    पुष्पों की पंखुड़ियों से |... क्या खूब सलीके ये मोह और पराग को एक साथ बांध द‍िया आशा जी आपने ...

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  10. सुप्रभात
    धन्यवाद टिप्पणी के लिए |इसी तरह हौसला बढाया कीजिए |

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