14 फ़रवरी, 2020

लेखनी

  है दिल  छोटा सा फिर भी
  रिक्त अभी भी हैं पर्ण   पुस्तिका में
बीते कल की  यादों को
 सहेजा जा सकता है जिनमें  |
लेखनी भी थकी नहीं है
यादों को लिपिबद्ध करने में फिर भी
उम्र दिखाई देने लगी है
 उस की रवानी में |
कभी चलते हुए जब थक जाती है
विश्राम करना चाहती है
यादें उसे पीछे हटने नहीं देतीं
बारम्बार लिखने को कहती है |
बड़े मनुहार के बाद लेखनी
 कदम अपने बढ़ाना चाहती है
कोशिशों की बैसाखी ले कर चलती है
पर वह प्रखरता अब कहाँ |
ह्रदय में  जगह की कमी नहीं है
लिखने को अंतस में पैनी लेखनी चाहिए
यादों का जखीरा रहा शेष लिपिबद्ध करने के लिए
 पुरानी लेखनी से  लिखने वाला चाहिए |
आशा

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 17 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. कोशिशों की बैसाखी ले कर चलती है
    पर वह प्रखरता अब कहाँ |
    ह्रदय में जगह की कमी नहीं है
    लिखने को अंतस में पैनी लेखनी चाहिए...
    सत्य लिखा है आपने इन पंक्तियों में । आज जब पढता हूँ तो वही पैनापन महसूस नहीं होता है।
    साधुवाद ।

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  3. लेखनी भी थकी नहीं है
    यादों को लिपिबद्ध करने में फिर भी
    उम्र दिखाई देने लगी है।
    सटीक रचना दीदी।

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  4. लेखनी भी थकी नहीं है
    यादों को लिपिबद्ध करने में फिर भी
    उम्र दिखाई देने लगी है।
    सटीक रचना दीदी।

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद मीना जी |

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  5. वाह ! बहुत सुंदर रचना ! क्या बात है !

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  6. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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