06 मार्च, 2020

होली


रंग बनाया है पलाश के फूलों से  
रंगों की बरसात लिए
 आपसी समभाव लिये
आई होली रंगों की सौगात लिए 
सूखे रंग गालों पर सजे 
 अपनों का प्यार लिए  
फूलों की होली  मथुरा में 
 कान्हां के मंदिर परिसर में 
भक्त  फाग गाते निहारते 
कृष्ण कन्हिया की मूरत को
मन में बसी छबि ऐसी 
जब नयन बंद करते तब भी
अनवरत दिल  में बसी रहती
लठ्ठ मार होली बरसाने की 
 भी कम नहीं होती किसी से 
बड़ी प्रतीक्षा रहती
 इस अवसर की
महिलाएं लंबा घूघट से चहरा ढाके
करतीं प्रहार लठ्ठों से 
 रंगतीं  गहरे रंगों से
 कोई बुरा नहीं मानता 
अवीर गुलाल  लगाने से
गिले शिकवे भूल  लोग
 आपस में गले मिलते
देते बधाइयां
 मिठाइयां बड़े प्रेम से
बैर भाव भूल 
प्रसन्नता से  रंग खेलते
 होली समारोह में 
धर घर जाते प्यार बांटते
रहता इंतज़ार इस त्यौहार का
 बहुत उत्साह से
 रंग भरे टबों में
 डुबकी खिलाने का 
चंग की थाप पर
रसिया गाने का 
होली के  गीतों का
 आनंद है अलग सा 
 भंग की तरंग में झूमते झामते
 होली के  गीत गाते
मस्ती से भरे लोग
 जहाँ  जाते रंग जमाते
बड़ों का आशीष ले
 बचपन की यादें ताजा करते  |

आशा



6 टिप्‍पणियां:

  1. टिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10 -3-2020 ) को " होली बहुत उदास " (चर्चाअंक -3636 ) पर भी होगी

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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  3. होली की मस्ती का बहुत सुन्दर चित्रण ! बढ़िया रचना !

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  4. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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