आँगन में तुलसी का बिरवा
सुबह उठते ही जल चढ़ाती जिस पर
दिया लगाती अगर बत्ती जलाती
सुगंध से महकाती परिसर |
है वह गृहणी इस घर की
घर के लोगों की सम्रद्धि के लिए
करती यथा संभव सभी यत्न
महनत से दान धर्म से पीछे न हटती |
अपनी
पीड़ा किसी से न बांटती
हर कार्य के लिए रहती तत्पार
मुस्कान से सभी का करती स्वागत
लोगों के मुंह से सदा उसकी तारीफ निकलती |
पर एक ही दुःख उसे सालता
जिससे रहती अपेक्षा वही कभी यश न देता
दो बोल मीठे सुनने को मन तरसता
क्या लाभ महिला दिवस पर सम्मान देने का |
क्या लाभ महिला दिवस पर सम्मान देने का |
बरसों से यही सिलसिला रहा जारी
बाहर की दुनिया में जब हंसकर निकलती
लोगों की ईर्षा का सामना करती
वही जानती है असलियत पहचानती है |
एक दिन की अतिथि बनना है सरल
सभी स्वागत भाषण करते नहीं थकते
सभी स्वागत भाषण करते नहीं थकते
मंच पर हार फूल से स्वागत किसे लगता बुरा
पर सच है यही कि वह जहां थी रही वहीं |
आशा
आशा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 07 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंआभार यशोदा जी सूचना के लिए |
सूचना हेतु आभार यशोदा जी |
जवाब देंहटाएंसुन्दर गवेषणा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर
सुप्रभात
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए अनीता जी |
सत्य कहा
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
धन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसही कहा. सार्थक रचना.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूचना के लिए आभार कामिनी जी |
नारीत्व की महिमा के संदर्भ में कहा गया है कि नारी प्रेम ,सेवा एवं उत्सर्ग भाव द्वारा पुरुष पर शासन करने में समर्थ है। वह एक कुशल वास्तुकार है, जो मानव में कर्तव्य के बीज अंकुरित कर देती है। यह नारी ही है जिसमें पत्नीत्व, मातृत्व ,गृहिणीतत्व और भी अनेक गुण विद्यमान हैं। इन्हीं सब अनगिनत पदार्थों के मिश्रण ने उसे इतना सुंदर रूप प्रदान कर देवी का पद दिया है। हाँ ,और वह अन्याय के विरुद्ध पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष से भी पीछे नहीं हटती है। अतः वह क्रांति की ज्वाला भी है।नारी वह शक्ति है जिसमें आत्मसात करने से पुरुष की रिक्तता समाप्त हो जाती है।
जवाब देंहटाएंसृष्टि की उत्पादिनी की शक्ति को मेरा नमन।
व्याकुल पथिक जी आपकी टिप्पणी बहुत अच्छी लगी |टिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |
हटाएंनारी को सही अर्थों में व्याख्यायित करती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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