एक बाल कथा –
एक चिड़िया अकेली डाल पर बैठी थी |इन्तजार कर
रही थी कब चिड़ा आए और दाना लाए |बहुत समय हो गया वह अभी तक नहीं आया |अब चिड़िया को चिंता होने लगी |बुरे
ख्यालों ने मन को घेरा |न जाने दाने की तलाश में वह कहाँ भटक रहा होगा |किसी बड़े
पक्षी ने हमला तो न कर दिया होगा |अचानक एक भजन उसे याद आया
“वह जमाने से क्यूँ डरे जिसके सर पर हाथ
प्रभू का”|
फिर थोड़ी देर मन बहलाया अपने बच्चों से मन का
हाल बताया |पर फिर से बेचैन होने लगी |वह बार बार ईश्वर को याद करती थी और अपने
पति की कुशलता की फरियाद भगवान से करती थी
|तभी देखा वह दूर से आ रहा था |दाना नहीं मिला था |चिड़िया ने सोचा दाना नहीं मिला
तो क्या हुआ कल के दाने से गुजारा चला लेंगे |ईश्वर की यही कृपा बहुत है की
मुसीबतों से बचता बचाता वह यहां तक आ तो
गया |किसी ने सच कहा है विपरीत परिस्थितियों में ईश्वर ही याद आता है वही सच्चा मददगार
होता है |
|आशा
बहुत सुन्दर और प्रेरक
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुन्दर कथा !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |