18 अप्रैल, 2020

बाल कथा





एक बाल कथा –
एक चिड़िया अकेली डाल पर बैठी थी |इन्तजार कर रही थी कब चिड़ा आए और दाना लाए |बहुत समय हो गया वह अभी तक  नहीं आया |अब चिड़िया को चिंता होने लगी |बुरे ख्यालों ने मन को घेरा |न जाने दाने की तलाश में वह कहाँ भटक रहा होगा |किसी बड़े पक्षी ने हमला तो न कर दिया होगा |अचानक एक भजन उसे याद आया
“वह जमाने से क्यूँ डरे जिसके सर पर हाथ प्रभू का”|
फिर थोड़ी देर मन बहलाया अपने बच्चों से मन का हाल बताया |पर फिर से बेचैन होने लगी |वह बार बार ईश्वर को याद करती थी और अपने पति  की कुशलता की फरियाद भगवान से करती थी |तभी देखा वह दूर से आ रहा था |दाना नहीं मिला था |चिड़िया ने सोचा दाना नहीं मिला तो क्या हुआ कल के दाने से गुजारा चला लेंगे |ईश्वर की यही कृपा बहुत है की मुसीबतों  से बचता बचाता वह यहां तक आ तो गया |किसी ने सच कहा है विपरीत परिस्थितियों में ईश्वर ही याद आता है वही सच्चा मददगार होता है |
|आशा

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