चाहे  किसी का भी बलिदान रहा हो
 अब तो  आजाद देश   हमारा है  
हम हैं स्वतंत्र देश के नागरिक 
जिसकी हमें रक्षा करनी है |
बीते कल को क्यूँ याद करें 
जो बीत गया बापिस नहीं आने वाला 
देश को संकट से मुक्त कराना है 
प्राकृतिक आपदा से बचाना है 
नियमों का गंभीरता से पालन कर 
देश की   हमें रक्षा करनी है |
है बहुत बड़ी जिम्मेदारी कंधे पर 
जिसका निर्वाह हमें करना है 
 यह आपदा है या महामारी है 
इसका कोई इलाज नहीं 
पूरे विश्व में फैली है |
नियमों का सख्ती से पालन करना 
एक यही विकल्प है  हमारे पास 
 उसी को निभाए जाएंगे 
यही संकल्प हमारा है |
आशा 
 
 
बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |
सही बात ! नियमों का पालन करेंगे तभी स्वयं को और अपने देश को इस महामारी से बचा पायेंगे ! सार्थक चिंतन !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
और तो ठीक है आशा जी,पर अतीत का भान रखे बिना
जवाब देंहटाएंभविष्य का पूरा ध्यान भी तो नहीं रखा जा सकेगा .
सुप्रभात
हटाएंआपने सही कहा है पर मैं सोचती हूँ बीती बातें ही करते रहे यदि ,नया कब सोचेंगे |धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
सूचना हेतु आभार सर |
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