18 अप्रैल, 2020

कोरा कॉपी का पन्ना


कोरा  कापी का कागज़
 खाली स्याही की बोतल 
 पैन नहीं लिखने को 
क्या करू कैसे लिखूं |
ऊपर से रौशनी भी नहीं
 कुछ भी दिखाई नहीं देता
मन  में भाव उमंग लेते   है
लिखने की इच्छा भी बहुत है
पर साधन नहीं जुट पाते हैं |
किस विधा में लिखूं सोच नहीं पाती
भाषा पर पकड़ नहीं मजबूत
मन में भावना  बलवती
यहीं पर मात खा जाती हूँ |
कभी सोचती हूँ कुछ और शौक पालूँ
 कुछ न करने से तो अच्छा है
जितना बने उतना करू
थोड़ा पढूं कुछ तो लिखूं |
पर फिर खुद की कमियाँ
नजर आने लगती है
कोई कार्य अधिक समय तक
 कर नहीं सकती |
मन में उलझने बढ़ने लगती हैं
मैं सोचती कुछ हूँ और करती कुछ और
तभी सफलता से रहती मीलों  दूर
क्या करू इस बढ़ती उम्र के साथ
सामंजस्य स्थापित कर  नहीं पाती |
जानती हूँ सब दिन एक सामान नहीं होते
बीते दिनों को याद करने से क्या लाभ
होता मन में क्षोभ कुछ भी हांसिल नहीं होता
 हाथ रीते ही रह जाते है और दिमाग कुंद |
आशा






6 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी हेतु धन्यवाद ओंकार जी |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी हेतु धन्यवाद शास्त्री जी |

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  3. क्या बात है ! कुंद मस्तिष्क से इतनी बढ़िया रचनाएं रची जा रही हैं तो स्वस्थ मस्तिष्क से तो आप कितना कमाल करेंगी यह विचारणीय है ! लिखे जाइए हम हैं ना पढ़ने के लिए, हर दिन हर पल !

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    उत्तर
    1. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |टिप्पणी लेखन में जान डालती है |

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