29 अप्रैल, 2020

शोहरत





 
 फैली खुशबू हिना सी चहुओर
होने लगी शोहरत दिग्दिगंत में
जिधर देखा उधर एक ही चर्चा  थी शोहरत की उसकी
जागी उत्सुकता जानने की
 कैसे पहुंची वह शोहरत के उस मुकाम तक
जानने को हुई आतुर जानना चाहा  सत्य
पहले तो  सही बात बताने को हुई  नहीं राजी
पर जब मैंने पीछा नहीं छोड़ा की बहुत मन्नत उससे
फिर हलकी सी मुस्कराहट उसके  चहरे पर आई
 बोली मैं तो तुम्हारी परिक्षा ले रही थी
फिर खोली उसने मन की गठरी
तुम में है कितनी शिद्दत कुछ नया करने की
हर उस बात को आत्मसात करने की
जिसे सीखने की है ललक   तुम्हारे  मन में  
 यूँ ही तो  समय काटने को पूंछे है तुमने प्रश्न
 मेरा उतारा चेहरा देख  मेरी उत्सुकता जान
 वह हुई उद्धत मन की बात बताने को
कहने लगी किसी कार्य से कभी हार नहीं मानी उसने  
असफल भी हुई पर मोर्चा कभी न छोड़ा उसने  
फिर दुगनी मेहनत से उसी कार्य में जुटी रही  
जब सफलता हाथ आई तभी शान्ति मन में आई
 प्रशंसा पा  खुद पर कभी ना आया  अभिमान  
 उसने दिया सफलता का श्रेय सदा
 अपने सहभागियों को भी भरपूर  दिया
 गर्व से रही कोसों दूर आलस्य को दी तिलांजलि
दूसरों ने यही कहा कितनी विनम्रता भरी है
है सच्ची हकदार शोहरत पाने की  
तभी उसकी  शोहरत को पंख लगे ऊंची उड़ान भरी
और  फैली  दिग्गिगंत में |
आशा


8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.4.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3687 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  3. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया दीदी
    सादर

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  4. सच है ! पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ जब काम किया जाता है तो सफलता भी मिलती है और शोहरत की खुशबू तो सब तरफ फैलती है ! बहुत सुन्दर रचना !

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  5. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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