इस सदी में जन्मी तो नहीं हूँ मैं
पर हूँ अवश्य गवाह
होने
वाली गतिविधियों की
सोचती हूँ कितनी तीब्र गति से
दुर्घटनाएं होती हैं ?
कुछ समय बाद याद ही नहीं रहेगा
क्या हुआ था पर ऐसा नहीं है
वे अपने पीछे
यादों के चिन्ह छोड़ जाती हैं
समय पा यादों का जख्म
अब भरता नहीं है
और अधिक गहरा हो जाता है
अंतर
स्पष्ट दिखाई देता है
पहले
की और आज की घटनाओं में
अब पहले सा युग नहीं रहा
मनुष्य अब आत्मकेंद्रित हुआ है
पर यह भी पूरी तरह सत्य नहीं है
कुछ लोग आज भी हैं ऐसे
जो दूसरों का दर्द समझते हैं
समय पर
मददगार होते हैं
स्वार्थी नहीं हैं
स्वार्थी नहीं हैं
हैं प्रशंसा के पात्र मतलबी नहीं हैं
मैंने भी उनसे ही शिक्षा ली है
निश्प्रह हो कर जो बन
सके
मदद कर देती हूँ
रखती हूँ मन बड़ा अपनापन लिए
मेरे हाथों में अधिक कुछ नहीं है |
आशा
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंउपयोगी रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद सर
सकारात्मक भाव लिए सुन्दर सार्थक सृजन ! सहयोग और परोपकार की यह भावना बनी रहनी चाहिए !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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