21 जून, 2020

आस्था





आस्था है मन की  मर्जी
किसी पर थोपी नहीं जाती
जिसकी जैसी सोच हो
वह वहीं ठहर जाती |
आत्मविश्वास सुद्रढ़ हो जब
 कोई नहीं बदल सकता उसे
मन का मालिक है वह
अच्छे बुरे का है  भान 
तभी सफल है जिन्दगी
 यही उसका प्रमाण |
कब होता  आस्था का जन्म  
यह भी निश्चित नहीं होता
किस  में हो किस पर हो
कहा नहीं जा सकता |
किशोरावस्था  में कोई
 बहुत मन पर छाता
वय  परिवर्तन के साथ
 बदल जाते है भाव
यौवन में किसी पर
अंध विश्वास तो होता है
पर आस्था नहीं|
यह होती आवश्यकता
उम्र के अंतिम पड़ाव की
तभी याद आते पाप पुन्य
जो भी किये पूरे जीवन में
आस्था का जन्म होता  
भगवत भजन याद आते
रह जाते जाने अनजाने  में
आस्था रूप बदल लेती भक्ति में
यही है कहानी आस्था की |
asha

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    योगदिवस और पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

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  2. धन्यवाद सर टिप्पणी के लिए |हार्दिक शुभ कामनाएं आप को भी |

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  3. वाह ! बहुत सही कहानी आस्था की ! सार्थक सृजन !

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  4. साधना टिप्पणी बहुत अच्छी लगी |धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

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