16 जुलाई, 2020

कोरोना से जंग

                                      तेरी हर आहट पर
अब नहीं  चौंकती  
 कोरोना डरा नहीं मुझको
मैं हूँ क्या तू नहीं जानता|
मुझे सभी युक्तियाँ 
 मालूम हो गई हैं
तुझसे छुटकारा पाने की
मैंने भी कच्ची गोलिया 
नहीं खेली हैं
जो तुझसे भयभीत रहूँ|
मास्क पहन कर रखती हूँ
आते जाते करती हूँ
  हस्त प्रक्षालन  
व्यर्थ बाहर नहीं घूमती
सभी को  सेनेटाईज करती हूँ|
 सावधानियां पूरी  बरतती  हूँ
लोगों  से उचित
  दूरी  रख कर
दूकान पर पग धरती हूँ|
घर से तभी निकलती हूँ
 जब हो अति आवश्यक
अनावश्यक सामान 
एकत्र नहीं करती|
भूखों  का भी
 ख्याल  रहता मुझे
अन्न दान में योगदान
 कभी कभी करती हूँ|
नहीं हूँ इतनी सक्षम कि  
आर्थिक मदद कर पाऊँ
पर मन  संकुचित नहीं
फिर भी जरूरत पड़ने पर  
इनकार नहीं करती|
यथा संभव सहायता
 ही रहता उद्देश्य मेरा
 ए कोरोना भाग जा 
मेरे देश को मुक्ति दिला |
इतना सताया है बहुत हुआ
 अब और नहीं
तेरा नामोनिशान 
भी मिट जाएगा
दुनिया के परदे से|
कोई  नामलेवा भी
 न रहेगा तेरा
 ओ कोरोना दुश्मन देश के 
   तुझे अब  अलबिदा |
आशा

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 17 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद शास्त्री जी |

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  3. खूब चेतावनी दी है कोरोना की बीमारी को ! अब तो यह देश छोड़ कर कहीं और चला जाए तब ही चैन आये !

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  4. सुप्रभात
    मेरी रचना पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

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