तेरी हर आहट पर
अब नहीं चौंकती
कोरोना डरा नहीं मुझको
मैं हूँ क्या तू नहीं जानता|
मुझे सभी युक्तियाँ
मालूम हो
गई हैं
तुझसे छुटकारा पाने की
मैंने भी कच्ची गोलिया
नहीं खेली हैं
जो तुझसे भयभीत रहूँ|
मास्क पहन कर रखती हूँ
आते जाते करती हूँ
हस्त प्रक्षालन
व्यर्थ बाहर नहीं घूमती
सभी को सेनेटाईज करती हूँ|
सावधानियां पूरी बरतती हूँ
लोगों से उचित
दूरी रख कर
दूकान पर पग धरती हूँ|
घर से तभी निकलती हूँ
जब हो अति आवश्यक
अनावश्यक सामान
एकत्र नहीं करती|
भूखों का भी
ख्याल रहता मुझे
अन्न दान में योगदान
कभी कभी करती हूँ|
नहीं हूँ इतनी सक्षम कि
आर्थिक मदद कर पाऊँ
पर मन संकुचित नहीं
फिर भी जरूरत पड़ने पर
इनकार नहीं करती|
यथा संभव सहायता
ही रहता उद्देश्य मेरा
ए कोरोना भाग जा
मेरे देश को मुक्ति दिला |
इतना सताया है बहुत हुआ
अब और नहीं
तेरा नामोनिशान
भी मिट जाएगा
दुनिया के परदे से|
कोई नामलेवा भी
न रहेगा तेरा
ओ कोरोना दुश्मन देश के
तुझे अब अलबिदा
|
आशा
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 17 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार यशोदा जी |
सुन्दर और समसामयिक रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद शास्त्री जी |
खूब चेतावनी दी है कोरोना की बीमारी को ! अब तो यह देश छोड़ कर कहीं और चला जाए तब ही चैन आये !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |