१-आँखों का जल 
समुद्र के पानी सा
खारा लगे है
समुद्र के पानी सा
खारा लगे है
२- बिना जल से
हैं नैनों के झरने  
बहते जाते 
३-कोरी हैं  आँखें 
सुन्दर नहीं है वे 
जल के बिना
४-छलकी आँखें 
बिना कारण नहीं 
दुखी है मन 
५-धैर्य अश्रु का 
खोना नहीं चाहता 
रिसता नहीं 
६-बाढ़ आगई 
मुख जल से भरा   
डूबा नहीं है
७-दो बूँदें  नहीं
अश्रुओं की नैनों में
है कैसा मन
आशा 
बढ़िया हाइकु।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 28 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-07-2020) को "कोरोना वार्तालाप" (चर्चा अंक-3777) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंसुंदर हाइकु
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हटाएंधन्यवाद अनुराधा जी टिप्पणी के लिए |
बहुत सुन्दर हाइकू ! बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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