27 जुलाई, 2020

हाईकू (अश्रु जल )



                                                                  १-आँखों का जल 
                                                                समुद्र के पानी  सा 
                                                                     खारा लगे है
२- बिना जल से
हैं नैनों के झरने
बहते जाते
३-कोरी हैं आँखें
सुन्दर नहीं है वे
जल के बिना
४-छलकी आँखें
बिना कारण नहीं
दुखी है मन 
५-धैर्य अश्रु का 
खोना नहीं चाहता 
रिसता नहीं 
६-बाढ़ आगई 
मुख जल से भरा  
डूबा नहीं है
७-दो बूँदें  नहीं
अश्रुओं की नैनों में
है कैसा मन
आशा


10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    टिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 28 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-07-2020) को     "कोरोना वार्तालाप"   (चर्चा अंक-3777)     पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  4. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  6. बहुत सुन्दर हाइकू ! बहुत बढ़िया !

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  7. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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