29 जुलाई, 2020

पद चिन्ह





जब हो आचरण ऐसा कि
 पद चिन्हों  पर चल कर जिसके
गर्व होने लगे  श्रद्धा में सर झुके
 सब कहें किसके अनुयाई हो |
 बात यही  आकर्षित करती  सब को
पहले जानकारी लेते अनुयाइयोँ से
फिर दिल की इच्छा जानना चाहते  
स्वीकृति मिलती तभी कदम आगे बढ़ाते | 
गुरू चुनते बहुत छानबीन कर
यह खेल नहीं है आज जिसे चुना
मन को रास नहीं आया तो बदल लिया
पानी पीजे छान कर गुरू कीजे जान कर |
सच्चा  गुरू  यदि मिल जाए
 उसके ही  पद चिन्हों पर चल कर
 यह  जिन्दगी सफल हो जाए
कहावत पूरी सत्य हो जाए |
हो  व्यक्तित्व  ऐसा कि हो प्रकांड पंडित  
मुख मंडल  से तेज टपकता हो
हो वाणी  ऐसी मन मोहक
कि मन मन्त्र मुग्ध हो जाए |
छल छिद्र से दूर प्रभु भक्ति में लीन
उसके ही पद चिन्हों पर चल कर
दुनिया के प्रपंचों से दूरी रहेगी
गुरू शिष्य परम्परा का उदाहरण रहेगी   |
आशा



13 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद स्मिता टिप्पणी के लिए |

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  2. सुन्दर सार्थक रचना ! बहुत बढ़िया !

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  3. सुन्दर और सराहनीय बेहतरीन प्रस्तुति

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 03 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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