मुडेर पर बैठा कागा
याद किसे करता
शायद कोई आने को है
दिल मेरा कहता |
जल्दी से कोई चौक पुराओ
आरते की थाली सजाओ
किसी को आना ही है
मन मेरा कहता |
तभी तो आती हिचकी
रुकने का नाम नहीं लेती
फड़कती आँख
शुभ संकेत देती|
शुभ संकेत देती|
कह रहे सारे शगुन
द्वार खुला रखना
ढेरों प्यार लिए
कोई आने को है |
हैं क्या ये संकेत ही
द्वार खुला रखना
ढेरों प्यार लिए
कोई आने को है |
हैं क्या ये संकेत ही
या मन में उठता ज्वार
कितने सही कितने गलत
आता मन में विचार |
आशा
आशा
बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता । हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंस्वराज्य करुण जी टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
आभार सहित धन्यवाद विर्क जी सूचना के लिए |
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर टिप्पणी के लिए |
हटाएंक्या खूब !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नूपूरं जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंकागा के मुंडेर पर बैठने का अर्थ ही किसी के आने की पूर्व सूचना है ! कोमल अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 24 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन सखी! बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत
बहुत सुंदर रचना आदरणीया
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