19 अगस्त, 2020

उसे तो आना ही है |







                                                              मुडेर पर बैठा कागा
याद किसे करता
शायद कोई  आने को है
दिल मेरा कहता |
जल्दी से कोई चौक पुराओ
आरते की  थाली सजाओ
किसी को आना ही है
मन मेरा कहता |
तभी तो आती  हिचकी
रुकने का नाम नहीं लेती
फड़कती आँख
 शुभ संकेत देती|
कह रहे सारे शगुन 
द्वार खुला रखना 
ढेरों प्यार लिए 
कोई आने को है |
हैं क्या ये  संकेत ही 
या मन में उठता ज्वार 
कितने सही कितने गलत 
 आता मन में विचार |
आशा


14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता । हार्दिक आभार ।

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    1. स्वराज्य करुण जी टिप्पणी हेतु धन्यवाद |

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. आभार सहित धन्यवाद विर्क जी सूचना के लिए |

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  3. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |

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  4. धन्यवाद नूपूरं जी टिप्पणी के लिए |

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  5. कागा के मुंडेर पर बैठने का अर्थ ही किसी के आने की पूर्व सूचना है ! कोमल अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 24 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. बेहतरीन सृजन सखी! बहुत सुंदर
    बहुत-बहुत

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