19 अगस्त, 2020

आराधना


प्रति दिन नैवेद्ध चढ़ाया
 आरती की दिया लगाया
घंटी बजा कर की आराधाना   
किया नमन ईश्वर को मन से   |
पर शायद ही कभी जांचा परखा 
 कितनी सच्ची आस्था है मन में
 या  मात्र औपचारिकता निभाई है
दैनिक आदतों की तरह जीवन में |
दे रहे धोखा किसे ईश्वर को या खुद को
इतने समय भक्ति भाव में डूबे रहे  
पर आस्था ने अपना रंग न जमाया  
मन का भार उतर ना पाया |
ईश्वर अपनी अदृश्य दृष्टि से
 समदृष्टि से देख रहा है सब को
 कोई और न मिला जो समझे समझाए  
ईश्वर की इस अदृश्य लीला को |
किया जिसने विश्वास प्रभू पर सच्चे मन से
उसका  ही बेड़ा पार हुआ
भवसागर के इस  भवर जाल  से
पहुंचा उसपार किनारे बिना किसी  बाधा के  |
आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 19 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. भक्ति भाव से रची बसी बहुत सुन्दर रचना ! ऊपर वाला सबकी रक्षा करता है !

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