बहनों ने किया सिंगार
हाथ सजाए मेंहदी से
पैरों में लगा कर आलता
है इन्तजार बड़ी उत्सुकता
से |
माँ ने बड़े प्यार से बुलाया है
है रक्षा बंधन का त्यौहार
भइया लेने आने वाला है
आँगन में झूला डलवाया नीम की डाली पर
लकड़ी की पट्टी मंगवाई बीकानेर से |
साड़ी सतरंगी लहरिये की लाया भाई
जयपुर के बाजार से
मां ने लगाया गोटा उसमें बड़े
प्यार से
हरी कांच की चूड़ियाँ लाई निखार कलाई में |
हुई तैयार बहना बांधने को रक्षासूत्र
बांधी राखी और दीं दुआएं भर पूर
रोली चावल से लगाया टीका
करवाया मुंह मीठा फेनी घेवर से |
भाई ने झुक कर
छुए पैर चाहा आशीष जीजी से
बहन नें की कामना
भाई की दीर्घ आयु की |
सारे दिन गहमागहमी रही झूले पर
आनेजाने वाली सखी सहेलियों की
कब सांझ हुई पता ही नहीं चला
ऐसे मना त्यौहार राखी का |
आशा
आशा
वाह ! खूब मना राखी का त्यौहार ! रक्षा बंधन के पावन पर्व पर सबको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन पर शुभ कामनाएं |टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (5 -8 -2020 ) को "एक दिन हम बेटियों के नाम" (चर्चा अंक-3784) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत भावपूर्ण रचना आदरणीय आशा जी। पूरी रचना में भावों की प्रगाढ़ता जिवंतरीमें प्रवाहित हो रहीहै। आपको सदर शुभकामनायें। देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थि हूँ 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण सृजन।
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