दो दिन पहले मैंने अपनी प्यारी बहिन को खोया है उसकी याद में कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं
थीं तुम गुमसुम गुड़िया जेसी
शांत सोम्य मुखमंडल तुम्हारा
मन मोहक मुस्कान तुम्हारी
सब से प्यार करनेवाली
सब से प्यारी सबकी दुलारी
बचपन से ही थीं ऐसी
अब भी कुछ परिवर्तन नहीं हुआ
कम बोलना कायदे से बोलना
है बड़ा गुण तुममें
हर कोई नहीं हो सकता तुम जैसा
अपने काम में हो दत्त चित्त
सुन्दर कृतियाँ उकेरीं तुमने
हर वह चित्र बोल उठता है ऐसे
प्राणप्रतिष्ठा की हो जैसे
तुम्हारी हर कृति का एहसास
सजीव जगत से आया है जैसे
तुम्ही मुखरित हुई हो हर कृति में
वैसे तो अंतर मुखी रहीं सदा
अब तुमने चिर मौनं को वरा है
सो गई चिर निंद्रा में सदा के लिए
तुम्हारी कमी की पूर्ती कभी नहीं होगी |
आशा
आदरणीय मौसी जी का व्यक्तित्व बहुत गरिमामय था
जवाब देंहटाएंॐ शांति
धन्यवाद स्मिता टिप्पणी के लिए |
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 18 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार दिव्या जी |
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-०९-२०२०) को 'अच्छा आदम' (चर्चा अंक-३८२९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
धन्यवाद अनीता जी सूचना के लिए |
हटाएंप्रिय सुधा दीदी को सादर नमन एवं अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ! उनका यूँ असमय चले जाने का दुःख कभी धूमिल नहीं होगा !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना |
हटाएंश्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंसादर नमन
टिप्पणी के लिए धन्यवाद हिन्दिगुरू जी |
हटाएंनमन
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |
जवाब देंहटाएंसादर नमन.
जवाब देंहटाएंओह आज जान पायी आशा जी | बहुत दुखद है | दिवंगत आत्मा के लिए इन भावपूर्ण पंक्तियों के लिए निशब्द हूँ |व्यथा शब्दों में नहीं समा रही है |स्वर्गीय आत्मा को सादर नमन |
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि...।
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