18 सितंबर, 2020

मेरी बहन

 



    दो दिन पहले मैंने अपनी प्यारी बहिन को खोया है उसकी याद में कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं
     
    थीं तुम गुमसुम गुड़िया जेसी
    शांत सोम्य मुखमंडल तुम्हारा 
    मन मोहक मुस्कान तुम्हारी
    सब से प्यार करनेवाली 
    सब से प्यारी सबकी दुलारी
    बचपन से ही थीं ऐसी
अब भी कुछ परिवर्तन नहीं हुआ 
कम बोलना कायदे से बोलना
है  बड़ा गुण तुममें
हर कोई नहीं हो सकता तुम जैसा
अपने काम में हो दत्त चित्त
सुन्दर कृतियाँ उकेरीं तुमने
हर वह चित्र बोल उठता है ऐसे
प्राणप्रतिष्ठा की हो जैसे
तुम्हारी हर कृति का एहसास
सजीव जगत से आया है जैसे
तुम्ही मुखरित हुई हो हर कृति में
वैसे तो अंतर मुखी रहीं सदा
अब तुमने  चिर मौनं को वरा है
सो गई चिर निंद्रा में सदा के लिए
तुम्हारी कमी की पूर्ती कभी नहीं होगी |
आशा

15 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मौसी जी का व्यक्तित्व बहुत गरिमामय था
    ॐ शांति

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 18 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-०९-२०२०) को 'अच्छा आदम' (चर्चा अंक-३८२९) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  4. प्रिय सुधा दीदी को सादर नमन एवं अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ! उनका यूँ असमय चले जाने का दुःख कभी धूमिल नहीं होगा !

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  5. टिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |

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  6. ओह आज जान पायी आशा जी | बहुत दुखद है | दिवंगत आत्मा के लिए इन भावपूर्ण पंक्तियों के लिए निशब्द हूँ |व्यथा शब्दों में नहीं समा रही है |स्वर्गीय आत्मा को सादर नमन |

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