सुख तो होता चंद दिनों का
पर तुमने साथ दिया है मेरा
दुःख तुमने सच्ची मित्रता निभाई है
जीते है साथ मरने की किसने देखी|
जीवन से कभी असंतोष न हुआ
सोच लिया यही है प्रारब्ध मेरा
सदा हंसती रही हंसाती रही
अब न जाने क्यूँ उदासी ने घेरा |
कल्पना में ही जीवन जिया
कठिनाई को बोझ न समझा
हवा का रुख हुआ जहां
उस ओर ही बहती चली गई |
जरा सी है यह जिन्दगी
खिले फूल को मुरझाना ही होगा
आज नहीं तो कल
पंचतत्व में मिलना होगा |
यह जान लिया है मैंने
अब तक स्वप्नों में खोई थी पर अब नहीं
सत्य के इतने करीब आकर
दूर कैसे जा पाउंगी |
आशा
सकारात्मक सोच से ही जीवन में खुशियां मिलती हैं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद स्मिता |
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२०-०९-२०२०) को 'भावों के चंदन' (चर्चा अंक-३०३८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
सुप्रभात
हटाएंसूचना के लिएआभार सहित धन्यवाद अनीता जी |
सृष्टि के नियम से कोई परे नहीं होता ! राजा हो या रंक सबकी अंतिम परिणति यही होती है इसके लिए कोई जीना नहीं छोड़ देता ! जीवन की अंतिम साँस तक उत्साह के साथ जीना और अपने भरसक घर परिवार समाज के लिए कुछ सार्थक सकारात्मक करके जाना ही सच्चे अर्थों में जीवन को जीना कहलाता है !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत मर्मस्पर्शी रचना आशा जी | मन की उठापटक को , बहुत ही सादगी से कहती रचना के लिए बहुत -बहुत शुभकामनाएं उर बधाई |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेणू जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबेहद खूबसूरत और हृदयस्पर्शी रचना सखी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुजाता जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट
जवाब देंहटाएंजीवन ख़ुशी से जी लिया तो यही सबसे बड़ी जीत होती है जीवन की
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जीवन अच्छे ढ़ंग से जी लिया तो सब कुछ पा लिया। मन के भावों की सहज सरल अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक...
जवाब देंहटाएंहवा का रुख हुआ जहां
उस ओर ही बहती चली गई |
जरा सी है यह जिन्दगी
खिले फूल को मुरझाना ही होगा
आज नहीं तो कल
पंचतत्व में मिलना होगा |
यह जान लिया है मैंने
बेहतरीन सृजन।