13 सितंबर, 2020

है क्या सोच तुम्हारा


 

कभी   तुम  ने सोचा नहीं

बताया नहीं है क्या तुम्हारे  मन में

क्या चाहते हो मुझ से |

अनगिनत  आकांक्षाएं  अपेक्षाएं

मुझे भी तुम से होगी

कोई तो अपेक्षा तुमसे

कभी जानना चाहा नहीं |

हो कितने निजी स्वार्थ में लिप्त

कभी सोचतो लेते मैंने तो

प्यार किया था तुमसे

 शायद तुम्हें अब याद न हो

जब होती विरह वेदना

तब पता चलता तुम्हे |

कभी तुम  ने सोचा नहीं

बताया नहीं है क्या तुम्हारे  मन में

क्या चाहते हो मुझ से |

अनगिनत  आकांक्षाएं  अपेक्षाएं

मुझे भी तुम से होगी

कोई तो अपेक्षा तुमसे

कभी जानना चाहा नहीं |

हो कितने निजी स्वार्थ में लिप्त

कभी सोचतो लेते मैंने तो

प्यार किया था तुमसे

 शायद तुम्हें अब याद न हो

जब होती विरह वेदना

तब पता चलता तुम्हे |

7 टिप्‍पणियां:

  1. सूचना के लिए आभार यशोदा जी |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर।
    हिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      हिन्दी दिवस पर आपको भी शुभकामनाएं |मेरी रचना की टिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |

      हटाएं

Your reply here: