तस्वीर क्या बोलेगी
वह तो मौन है
पर उसके नयना बोलते हैं
मन के भेद खोलते हैं |
उसकी अलकें चहरे पर
हवा से उड़ने लगती हैं
उसका मुख चूमने का
प्रयास करने लगती हैं |
मन खुद बेचैन हो उस ओर ही
झुक जाता हैं
सम्पुट कुछ कहना चाहते हैं
उसे प्रिय की है तलाश
बहुत काल से |
आशा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 11 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार दिग्विजय जी सूचना के लिए |
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 12 अक्टूबर 2020) को 'नफ़रतों की दीवार गहरी हुई' (चर्चा अंक 3852 ) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आभार सहित धन्यवाद रविन्द्र जी मेरी पोस्ट की सूचना के लिए |
हटाएंजल्दी ही यह तलाश पूरी हो उसकी ! बहुत प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंअंग्रेजी कविता जैसा आनन्द देती रचना।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |