11 अक्तूबर, 2020

तस्वीर क्या बोले


                                           तस्वीर क्या बोलेगी  

वह तो मौन है

पर उसके नयना बोलते हैं

मन के भेद खोलते हैं |

उसकी अलकें चहरे पर

हवा से उड़ने लगती हैं

उसका मुख चूमने का

 प्रयास करने लगती हैं |

मन खुद  बेचैन हो उस ओर ही

झुक जाता हैं

सम्पुट कुछ कहना चाहते हैं

उसे प्रिय  की है तलाश

बहुत काल से |

                                                आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 11 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सूचना हेतु आभार दिग्विजय जी सूचना के लिए |

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 12 अक्टूबर 2020) को 'नफ़रतों की दीवार गहरी हुई' (चर्चा अंक 3852 ) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    #रवीन्द्र_सिंह_यादव


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    1. आभार सहित धन्यवाद रविन्द्र जी मेरी पोस्ट की सूचना के लिए |

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  3. जल्दी ही यह तलाश पूरी हो उसकी ! बहुत प्यारी रचना !

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  4. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  5. बहुत सुन्दर।
    अंग्रेजी कविता जैसा आनन्द देती रचना।

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  6. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |

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