कोविद नाईनटीन का रावण
जला दशहरा मैदान में
पर ज्यादा लोग देख नहीं
पाए इस आयोजन को |
घर से ही दुआ की
अब फिर पलट कर ना आए कोविद
छोटी सी सवारी आई थी
रावण के दहन को |
बिना धूमधाम के चुपके से
रावण दहन कर चली गई
बच्चे मेला देखने की जिद्द करते रहे
पर कोई नहीं ले गया |
कुछ रोए कुछ बहकावे में आए
पर वहां पहुँच ना पाए
अगले साल का वादा किया
जैसे तैसे उनसे पीछ छुड़ाया |
न जाने कल क्या होगा किसे पता
दुनिया तो आज पर जीती है
ऐसा उदासी भरा पहले हमने
तो कभी देखा नहीं ऐसा त्यौहार |
बस बीती यादों में खोए रहे
और आज के अवसर
को दुखी मन से
भूलने की कोशिश में लगे रहे |
आशा
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (27-10-2020 ) को "तमसो मा ज्योतिर्गमय "(चर्चा अंक- 3867) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु धन्यवाद कामिनी जी |
सटीक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकोरोना काल में हर नगर में ऐसा ही मना है त्यौहार ! कोई बात नहीं अगले साल धूमधाम से मनेगा दशहरा ! इसमें उदास होने की क्या बात है ! बीत गयी सो बात गयी !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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