23 नवंबर, 2020

समाज

 


एक से समाज नहीं बनाता

होता आवश्यक एक समूह

समान आचार  विचारों वाला

सामंजस्य आपस में हो

तभी स्वप्न समाज का

हो सकता है सफल |

यूँ तो एक  समूह भीड़ का भी होता

पर सोच होता सब का  अलग

कोई कुछ सोचता दूसरा कुछ और

 सभी राग अपना  अलापते तालमेल से दूर |

समाज के कुछ नियम होते

जिन्हें पालन करना होता अनिवार्य

तभी स्वस्थ्य समाज का होता निर्माण

मनुष्य है उसका अभिन्न अंग  |

आशा


 

9 टिप्‍पणियां:

  1. समान आचार विचारों वाला

    सामंजस्य आपस में हो

    तभी स्वप्न समाज का

    हो सकता है सफल |
    वास्तविकता
    सादर

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद सधु जी |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |

      हटाएं
  3. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

    जवाब देंहटाएं
  4. समान आचार विचारों वाला सामंजस्य आपस में हो तभी स्वप्न समाज का हो सकता है सफल | --- बिलकुल सही कहा आपने | शुभ कामनाएं |

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