सात अश्वों पर हो कर सवार
चलदिया सूर्य देशाटन को
एक ही राह पर चला
मार्ग से बिचलित न हुआ |
यही है विशेषता उसकी
जिसने भी अनुकरण किया
जीवन सफल हुआ उसका
इसी मन्त्र ने सफलता का दामन छुआ |
अपनी ऊष्मा से सभी में जान भरी
कितनों को जीवन दान दिया
तुम्हारी रश्मियों की छुअन ने
पुष्पों को नव जीवन दिया |
आशा
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 27-11-2020) को "लहरों के साथ रहे कोई ।" (चर्चा अंक- 3898) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
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"मीना भारद्वाज"
पोस्ट की सूचना हेतु आभार मीना जी |
हटाएंसुन्दर और प्रेरक।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चित्र सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह ! सार्थक सृजन ! सुन्दर रचना ! सूर्य है तो संसार है वरना जीवन की कल्पना ही निर्मूल थी !
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