16 जनवरी, 2021

नन्हीं परी


                                                         हुस्न तेरा क्या कहिये

किसी हूर से कम नहीं तू

या है एक नन्हीं परी

श्वेत वस्त्रों से सजी है |

पंख भी हैं धवल तेरे

प्यार से जब भी देखती

सारी कायनात रौशन होती

जन्नत नजर आने लगती |

 जब रौद्र रूप धारण करती

सांस हलक में अटक जाती

दृष्टि देख सहम जाती

मेरी  जान निकल जाती |

|आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 17 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (17-01-2021) को   "सीधी करता मार जो, वो होता है वीर"  (चर्चा अंक-3949)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  4. सुप्रभात
    मेरी रचना की सूचना के लिए आभार शास्त्री जी |

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  5. परी सी सुन्दर कोमल चंचल इतनी प्यारी गुडिया जिसके पास हो उसे और किसी चीज़ की क्या ज़रुरत होगी ! सुन्दर रचना !

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  6. धन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |

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