26 जनवरी, 2021

रंग मौसमी

 

03 फ़रवरी, 2017

रंग मौसमी




हरी भरी धरती पर
पीले पुष्पों से लदे वृक्ष
जल में से झांकती 
उनकी छाया
हिलती डुलती बेचैन दीखती
अपनी उपस्थिति दर्ज कराती
तभी पत्थर सट कर उससे
यह कहते नजर आते
हमें कम न आंको
हम भी तुम्हारे साथ हैं
आगया है वासंती मौसम
उस के रंग में सभी रंग गए
फिर हम ही क्यूं पीछे रह जाते 
हम भी रंगे तुम्हारे रंग में
जब पर्वत तक न रहे अछूते
दूर से धानी दीखते
फिर हम कैसे पीछे रह जाते |
आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 27 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ! बहुत सुन्दर रचना ! बहुत खूब !

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  5. आ गया है वासंती मौसम''
    अब बसंत बौराएगा

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: