जीवन की पुस्तक मेंआज
एक पन्ना और जुड़ा है
कभी सोचा न था
यह क्या हुआ है |
हर बार की तरह
इस बार भी उसे
अपठनीय करार दिया
गया|
मन में विद्रोह उपजा
ऐसा क्यूँ हुआ ?
किस कारण से हुआ?
पर अभी तक प्रश्न अनुत्तरित
हैं
इनके उत्तर ढूँढूं कहाँ
जिससे भी जानना चाहा
उसी ने कहा यह तो
जीवन में आने वाली सामान्य
सी
सहज ही सी
प्रतिक्रिया है |
कोई कारण नहीं
यूँही चिंता करने
में
मन में व्यर्थ का
भय पालने में |
जीवन कभी सहज न हो पाएगा
ऐसे ही दबा रहेगा यदि
प्रश्नों के बोझ तले
जीना दूभर हो जाएगा |
आशा
सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.01.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
Thanks for the informati
हटाएंजीवन की किताब का हर पन्ना नया होता है उसमें कौन सा सबक छिपा होता है यह उसे पढ़ने के बाद ही जाना जा सकता है ! मेधावी छात्र कभी सबक सीखने से और चुनौतियों का सामना करने से नहीं घबराते और हमेशा अच्छे नंबरों से पास होते हैं ! बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment.
हटाएंसमय परिवर्तनशील होता है, हर दिन का आनन्द लें।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2022...वक़्त ठहरता नहीं...) पर गुरुवार 28 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंसामयिक और ससक्त रचना।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir.
हटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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