27 जनवरी, 2021

एक और नया पन्ना जुड़ा


 

जीवन की पुस्तक मेंआज  

एक पन्ना और जुड़ा  है

कभी सोचा न था

 यह क्या हुआ है |

हर बार की तरह

इस बार भी उसे

अपठनीय करार दिया गया|

मन में विद्रोह उपजा

 ऐसा क्यूँ हुआ ?

किस कारण से हुआ?

पर अभी तक प्रश्न अनुत्तरित हैं

इनके उत्तर  ढूँढूं कहाँ

जिससे भी जानना चाहा

उसी ने कहा यह तो

जीवन में आने वाली सामान्य सी

सहज ही सी प्रतिक्रिया है |

 कोई कारण नहीं

यूँही चिंता करने में

मन में व्यर्थ का

 भय पालने में |

 जीवन कभी सहज न हो पाएगा

ऐसे ही दबा रहेगा यदि

प्रश्नों के बोझ तले

 जीना दूभर हो जाएगा |

आशा

 

15 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.01.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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  2. जीवन की किताब का हर पन्ना नया होता है उसमें कौन सा सबक छिपा होता है यह उसे पढ़ने के बाद ही जाना जा सकता है ! मेधावी छात्र कभी सबक सीखने से और चुनौतियों का सामना करने से नहीं घबराते और हमेशा अच्छे नंबरों से पास होते हैं ! बढ़िया रचना !

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  3. समय परिवर्तनशील होता है, हर दिन का आनन्द लें।

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2022...वक़्त ठहरता नहीं...) पर गुरुवार 28 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!




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  5. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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