28 फ़रवरी, 2021

राह भटका एक पक्षी



हूँ एक प्रवासी पक्षी  

समूह से बिछुड़ा हुआ

दूर देश से आया  हूँ

पर्यटन के लिए |

बदले मौसम के  कारण

 राह भटका  हूँ

समूह से बिछड़ गया  हूँ

पर अब तक नहीं हारा हूँ |

 नसीहत ली है मैंने जरूर

जब कहीं बाहर जाना हो

 अपने समूह का साथ

कभी न छोड़ना  चाहिए  |

चाहे मन न मिले सब से

सामंजस्य आपस में करना सीखो

नहीं तो राह भटक जाओगे

 जिद्द से परेशानी में उलझ जाओगे |

नया कोई न आएगा

तुम्हे राह दिखाने

यह सभी समझ जाएंगे

क्यूँ तुम सब से  बिछड़े हो |

आशा

 

14 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद संगीता जी टिप्पणी के लिए |

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 01 मार्च 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      आभार यशोदा जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

      हटाएं
  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 01 -03 -2021 ) को 'मौसम ने ली है अँगड़ाई' (चर्चा अंक-3992) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  4. आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

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  5. उचित नसीहत देती सार्थक रचना ! बहुत बढ़िया

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