सागर सी गहराई तुम में
हो इतने विशाल
कोई ओर न छोर |
पर मन पर नियंत्रण नहीं
जब भी समुन्दर में
तूफान आता है
हाहाकार मच जाता |
ऊंची ऊंची लहरें उठतीं
अनियंत्रित होतीं जातीं
सुनामी के नाम से
दिल दहल जाता है |
कितना विनाश होता
नतीजा क्या निकलता
मन दुखी हो जाता
जानने की इच्छा नहीं
आगे होगा क्या ?
कैसा होगा अंजाम ?
कहा नहीं जा सकता |
वही हाल तुम्हारा है
होते हो जब गंभीर
विशाल शांत सागर जैसे
बहुत प्यार आता है तुम पर
पर रौद्र रूप धारण करतें ही
बड़ा परिवर्तन आ जाता है |
केवल कटुता ही रह जाती
मन का प्यार
कपूर की तरह
कहीं उड़ जाता है |
आशा
हाँ यह तो सत्य है ! सुनामी के बाद कैसे हालात होंगे कौन जान सकता है !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना
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