किस ने कहा तुमसे हर बात
जैसी की तैसी ही मान लो |
अपनी बुद्धि भी कभी तो खर्च करो
ज्यादा नहीं तो कुछ तो लाभ हो |
केवल कानों से सुने और निकाल दें
यूँ ही आडम्बर जान यह भी ठीक नहीं |
कभी सच्ची बात नजर नहीं आती
जब झूटी अपना फन फैलाती |
मुस्कान तिरोहित हो जाती जब सच्चाई समक्ष आती |
सच झूट में दूरी है बहुत कम जान लो
आँख और कान का है जितना फासला पहचान लो |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 14 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी सही बात कही
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए कुमार जी |
वाह, बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए शिवम् जी |
सुंदर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी हेतु आभार सहित धन्यवाद आलोक जी |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 15 -03 -2021 ) को राजनीति वह अँधेरा है जिसे जीभर के आलोचा गया,कोसा गया...काश! कोई दीपक भी जलाता! (चर्चा अंक 4006) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सुप्रभात
हटाएंसूचना के लिएआभार सहित धन्यवाद|
वाकई सच और झूठ में बहुत बारीक अंतर है ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंसंगीता जी टिप्पणी बहुत अच्छी लगी धन्यवाद |
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए सर |
सच है ! आँख और कान में जितना फासला है ! सच और झूठ में भी उतना ही फासला है ! सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
किस ने कहा तुमसे हर बात
जवाब देंहटाएंजैसी की तैसी ही मान लो |
अपनी बुद्धि भी कभी तो खर्च करो
ज्यादा नहीं तो कुछ तो लाभ हो |
सरलतम शब्दों में कितना अच्छा संदेश !
सुप्रभात
हटाएंमीना जी धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
किस ने कहा तुमसे हर बात
जवाब देंहटाएंजैसी की तैसी ही मान लो |
अपनी बुद्धि भी कभी तो खर्च करो
ज्यादा नहीं तो कुछ तो लाभ हो
बहुत सुंदर रचना आदरणीय आशा जी
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसवाई सिंह जी धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
बिल्कुल सटीक बात को उठाती अनोखी रचना.. यथार्थपूर्ण भी..कभी समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी पधारें आदरणीय आशा जी, आपको मेरा सादर नमन ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसच झूठ में दूरी है बहुत कम जान लो
जवाब देंहटाएंआँख और कान का है जितना फासला पहचान लो
बिल्कुल सही कहा आपने....सुंदर प्रस्तुति...
सच झूट में दूरी है बहुत कम जान लो
जवाब देंहटाएंआँख और कान का है जितना फासला पहचान लो
बहुत सही.. जीवनोपयोगी सीख । सुन्दर सृजन ।
सच कहा आपने आदरणीया दी।
जवाब देंहटाएंमुस्कान तिरोहित हो जाती जब सच्चाई समक्ष आती |
सच झूट में दूरी है बहुत कम जान लो
आँख और कान का है जितना फासला पहचान लो |..वाह!
बहुत ही सुन्दर सृजन - -
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