आज क्या रहा रहस्य
जानने को
हर बात की जानकारी
सहज ही मिल जाती है |
यही जानकारी बना देती
छद्म मर्मग्य उसे
एक मुखौटा चहरे पर
और चिपक जाता है |
असली रूप
कहीं दब जाता है
पहचान नहीं हो सकती
है असली की |
असली नकली के सच को
उजागर करना
होता सरल नहीं
बात छिपी रह जाती है मन में |
जो जैसा है
दिखाई नहीं देता
वास्तविकता का एहसास
आसान नहीं है |
चंद फितरती लोग
लाभ उठा लेते हैं
ऐसे अवसरों का
बन जाते हैं छद्म मर्मग्य |
आशा
बहुत सुंदर सराहनीय
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद आलोक जी |
बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसादर।
सुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद सधु जी |
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04.03.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुप्रभात
हटाएंमेरी पोस्ट की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |
सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ज्योति जी टिप्पणी के लिए |
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