04 मार्च, 2021

देखे प्रेम के कई रूप




                                                                         देखे प्रेम के कई रूप 

भाँती भाँती के रूप अनूप

 भक्ति  भाव उजागर होता

कभी  माँ की ममता का बहाव होता 

कभी मित्र भाव दिखाई देता

कभी निस्वार्थ प्रेम लहराता

अपना परचम फहराता

प्रकृति  अपने पंख फैलाती 

कभी देश प्रेम होता सर्वोपरी

किसे प्राथमिकता दे  क्या है जरूरी

सोच सही मार्ग न दिखा पाता ||

 केवल एहसास खुद से प्रेम का

देता आत्म मोह  का नमूना कभी 

 यौवन से प्रेम उफन कर आता कभी 

जिस समय हो अति आवश्यक

वही प्रेम समझ में आता |

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 04 मार्च 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

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  3. प्रेम पर तो पूरा शोध ही कर डाला आपने ! बहुत सुन्दर रचना !

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